UPSSSC PET Passage Practice Set 9 | पिछले पेपर पर आधारित गद्यांश के महत्वपूर्ण प्रश्न

UPSSSC PET Passage Practice Set 9: उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ष यूपी पेट परीक्षा का आयोजन किया जाता है जो भी उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं या किसी अन्य राज्य के हैं और वह सभी उम्मीदवार जो यूपी पेट परीक्षा पास करके यूपीट्रिपलएससी आयोग द्वारा जारी होने वाली भर्तियों में भाग लेना चाहते हैं तो उनको UPSSSC PET Exam 2022 परीक्षा पास करना अनिवार्य है क्योंकि यह परीक्षा एक प्री परीक्षा है इसी परीक्षा में प्राप्त अंको के आधार पर मेंस परीक्षा आयोजित की जाएगी, इस लेख के जरिये आप PET Practice Set in Hindi को प्राप्त कर सकतें हैं और साथ ही अन्य परीक्षा के Practice Set प्राप्त करने के लिए क्लिक करें।

UP PET EXAM में हिंदी भाषा के 2 पैसेज यानी कि गद्यांश से कुल 10 प्रश्न पूछें जाते हैं इसलिए हम आपके परीक्षा में 10 अंक पक्के करने के लिए हिंदी पैसेज संबंधित प्रश्न लेकर आते है जिससे कि आप अपनी तैयारी भी जांच सके और अपनी तैयारी को सुधार सकें।

इस परीक्षा के प्राप्त अंको के आधार पर आने वाली भर्तियों में मेरिट बनाकर मेंस परीक्षा के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाता है इसलिए आप UPSSSC PET Exam की तैयारी बढ़िया तरीके से करें तथा परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर, मेंस परीक्षा के लिए योग्य रहे और PET Practice Set Online लगाते रहे, इस लिए हम आपके लिए up pet Exam में पूछें गए UPSSSC PET Practice Set 5 के महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आये है जिसको आप हल करके अपनी तैयारी जाँच सकते हैं।

UPSSSC PET Passage Practice Set 9

UPSSSC PET Passage Practice Set 9

सुप्रसिद्ध गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ ने अपनी एक रचना में कहा हैं – जैसा हो आघात रे वैसा बजे सितार

तेरी ही आवाज़ की प्रतिध्वनि है संसार ।

हम वाद्ययंत्रों पर जैसा आघात करते हैं वैसी ही ध्वनि उनसे निकलती है। यदि कठोरता से आधात करते हैं तो कठोर ध्वनि उत्पन्न होती है, लेकिन यदि कोमलता से आघात करते हैं तो कर्णप्रिय कोमल ध्वनि उत्पन्न होती है। यदि हम किसी वाद्ययंत्र को नियमपूर्वक ठीक से बजाते हैं तो सही राग उत्पन्न होता है, अन्यथा सही राग उत्पन्न होने का प्रश्न ही नहीं उठता। सही राग उत्पन्न न होने की स्थिति में गुणीजन हमारे गायन अथवा वादन की ओर आकर्षित ही नहीं होंगे। हमारे जीवन रूपी सितार की भी यही स्थिति होती है। यदि हम अनुशासन में रहते हुए अत्येक कार्य नियमानुसार करते हैं तो जीवन रूपी सितार से उत्पन्न होने वाला प्रत्येक राग रूपी कार्य हमें सार्थकता और आनंद ही प्रदान करेगा।

प्रश्न. एक ही वाद्ययंत्र से कौमल और कठोर ध्वनि निकलना किस पर निर्भर होता है?

  1. हलके या तेज़ आघात पर
  2. बजाने वाले की कला पर
  3. श्रोता की रुचि पर
  4. वाद्ययंत्र पर

उत्तर – 1

प्रश्न. जीवन के साथ सितार की तुलना किसलिए की गई है?

  1. सितार बजाने की भाँति जीने का भी एक सलीका होता है।
  2. जीवन सितार की भाँति संगीतमय होना चाहिए।
  3. जीवन तो सुरीला ही होता है।
  4. तुलना ही असंगत है।

उत्तर – 1

प्रश्न. ‘हम जैसा करते हैं वैसा पाते हैं’– यह समझाने के लिए लेखक ने किसका उदाहरण दिया है?

  1. सितार का
  2. गूँज का
  3. आघात का
  4. अनुशासन का

उत्तर – 3

प्रश्न. वाद्ययंत्र से सही राग उत्पन्न करने के लिए किस प्रकार से बजाया जाना चाहिए?

  1. तेज़ आघातों के साथ
  2. कोमल आघातों के साथ
  3. उपरोक्त में से कोई नहीं
  4. नियमपूर्वक ठीक से बजाना

उत्तर – 4

प्रश्न. किस स्थिति में गुणीजन हमारे गायन और वादन की ओर आकर्षित नहीं होगे?

  1. सही राग उत्पन्न न होने की स्थिति में
  2. कोमल वाद्ययंत्र न बजाने की स्थिति में
  3. तेज़ वाद्ययंत्र न बजाने की स्थिति में
  4. उपरोक्त सभी स्थितियों में

उत्तर – 1

पैराग्राफ 2- नैतिक और आध्यात्मिक विकास ही जीवन का वास्तविक लक्ष्य माना जाता था। अहिंसा की भावना सर्वोपरि थी। आज पूरा जीवन दर्शन ही बदल गया है। सर्वत्र पैसे की हाय-हाय तथा धन का उपार्जन ही मुख्य ध्येय हो गया है, भले ही धन उपार्जन के तरीके गलत ही क्यों न हों। इन सबका असर मनुष्य के प्रतिदिन के जीवन पर पड़ रहा है। समाज का वातावरण दूषित हो गया है। इन सबके कारण मानसिक और शारीरिक तनाव-खिंचाव और व्याधियाँ पैदा हो रही हैं।

आज आदमी धन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है। पाँच रुपये मिलने पर दस, दस मिलने पर सौ और सौ मिलने पर हज़ार की लालसा लिए वह इस अंधी दौड़ में शामिल है। इस दौड़ का कोई अंत नहीं। धन की इस दौड़ में सभी पारिवारिक और मानवीय संबंध पीछे छूट गए। व्यक्ति सत्य-असत्य, उचित – अनुचित, न्याय-अन्याय और अपने-पराए के भेद-भाव को भूल गया। उसके पास अपनी पत्नी और संतान के लिए भी समय नहीं । धन के लिए पुत्र का पिता के साथ, बेटी का माँ के साथ और पति का पत्नी के साथ झगड़ा हो रहा है। भाई-भाई के खून का प्यासा है। धन की लालसा व्यक्ति को जघन्य से जघन्य कार्य करने के लिए उकसा रही है। इस लालसा का ही परिणाम है कि जगह-जगह हत्या, लूट, अपहरण और चोरी-डकैती की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इस रोगी मनोवृत्ति को बदलने के लिए हमें हर स्तर पर प्रयत्न करने होंगे।

प्रश्न. ‘आज पूरा जीवन-दर्शन बदल गया है।’ उक्त कथन का आशय है?

  1. आज जीवन में परिवर्तन आ गया है।
  2. आज संपूर्ण जीवन बदल गया है।
  3. आज समय बदलने से दिनचर्या बदल है।
  4. आज जीवन के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आ गया है।

उत्तर – 4

प्रश्न. प्राचीनकाल में जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या माना गया था ?

  1. आध्यात्मिक और सामाजिक विकास
  2. आर्थिक और सामाजिक प्रगति
  3. जीवन-दर्शन में परिवर्तन
  4. नैतिक और आध्यात्मिक विकास

उत्तर – 4

प्रश्न. हमारे मानवीय संबंध पीछे छूटने का कारण है?

  1. धन कमाने की इच्छा
  2. धन कमाने की लालसा
  3. धन कमाने की विवशता
  4. धन कमाने की अंधी दौड़

उत्तर –

प्रश्न. मानसिक तनाव की व्याधियों का कारण लेखक ने क्या माना है?

  1. पर्यावरण प्रदूषण
  2. किसी भी प्रकार धन कमाने की इच्छा
  3. एक दिन दौड़ते रहना
  4. चोरी-डकैती की घटनाएँ

उत्तर – 2

प्रश्न. किस दौड़ के अंतहीन माना जाता है?

  1. किसी भी प्रकार धन जोड़ने की
  2. आगे बढ़ने की
  3. वास्तविक लक्ष्य पाने की
  4. अपने पराए को भुला देने की

उत्तर – 1