UPSSSC PET Hindi Passage Practice Set 4: पिछले पेपर पर आधारित गद्यांश सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

UPSSSC PET Hindi passage Practice Set 4: उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ष यूपी पेट परीक्षा का आयोजन किया जाता है जो भी उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं या किसी अन्य राज्य के हैं और वह उम्मीदवार यूपीट्रिपलएससी आयोग द्वारा जारी होने वाली भर्तियों में भाग लेना चाहते हैं तो उनको UPSSSC PET Exam 2022 परीक्षा पास करना अनिवार्य है क्योंकि यह परीक्षा एक प्री परीक्षा है इसी परीक्षा में प्राप्त अंको के आधार पर मेंस परीक्षा आयोजित की जाएगी, इस लेख के जरिये आप PET Practice Set in Hindi को प्राप्त कर सकतें हैं और साथ ही अन्य परीक्षा के Practice Set प्राप्त करने के लिए क्लिक करें।

UP PET EXAM में हिंदी भाषा के 2 पैसेज यानी कि गद्यांश से कुल 10 प्रश्न पूछें जाते हैं इसलिए हम आपके परीक्षा में 10 अंक पक्के करने के लिए हिंदी पैसेज संबंधित प्रश्न लेकर आते है जिससे कि आप अपनी तैयारी भी जांच सके और अपनी तैयारी को सुधार सकें।

इस परीक्षा के प्राप्त अंको के आधार पर आने वाली भर्तियों में मेरिट बनाकर मेंस परीक्षा के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाता है इसलिए आप UPSSSC PET Exam की तैयारी बढ़िया तरीके से करें तथा परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर, मेंस परीक्षा के लिए योग्य रहे और PET Practice Set Online लगाते रहे, इस लिए हम आपके लिए up pet Exam में पूछें गए UPSSSC PET Hindi Practice Set के महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आये है जिसको आप हल करके अपनी तैयारी जाँच सकते हैं।

UPSSSC PET Hindi Passage Practice Set 4

नीचे की तरफ हम आपको यूपी पेट परीक्षा में पूछें जानें वाले हिंदी गद्यांश संबंधित प्रश्न दिए हैं जो यूपी ट्रिपल एससी पेट परीक्षा में 10 अंकों के आते हैं, जिसको हल करें और अपनी तैयारी को मजबूत करें।

UPSSSC PET Hindi Passage Practice Set 4

गद्यांश 1:- सच्चे वीर अपने प्रेम के जोर से लोगों को सदा के लिए बाँध देते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार से होती है। कभी लड़ने-मरने से, खून बहाने से, तोप-तलवार के सामने बलिदान करने से होती है, तो कभी जीवन के गूढ़ तत्त्व और सत्य की तलाश में बुद्ध जैसे राजा विरक्त होकर वीर हो जाते हैं। वीरता एक प्रकार की अन्त:प्रेरणा है। जब कभी उसका विकास हुआ तभी एक रौनक, एक रंग, एक बहार संसार में छा गई। वीरता हमेशा निराली और नई होती है। वीरों को बनाने के कारखाने नहीं होते। वे तो देवदार के वृक्ष की भाँति जीवन रूपी वन में स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी दूध पिलाए बढ़ते हैं। ‘जीवन के केन्द्र में निवास करो और सत्य की चट्टान पर दृढ़ता से खड़े हो जाओ। बाहर की सतह छोड़कर के अन्तर की तहों में पहुँचो तब नए रंग खिलेंगे।’ यही वीरता का सन्देश है।

प्रश्न. वीरता का सन्देश क्या है?

  1. यह संकल्प कि किसी भी हालत में युद्ध जीतना है।
  2. बुद्ध जैसे राजा की भाँति विरक्त होना।
  3. उद्देश्य के लिए सच्चाई पर चट्टान की तरह अटल रहना।
  4. हमेशा नया और निराला रहना।

उत्तर- 3

प्रश्न. वीरों की देवदार वृक्ष से तुलना की गई है, क्योंकि दोनों

  1. खाना-पीना मिलने पर ही बढ़ते हैं।
  2. का दिल उदार होता है।
  3. सत्य का हमेशा पालन करते हैं।
  4. स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं।

उत्तर- 4

प्रश्न. इस गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक होगा

  1. वीरता संस्मरण
  2. सच्ची वीरता
  3. वीरों का उत्पन्न होना
  4. देवदार और वीर

उत्तर – 2

प्रश्न. निम्न में से कौन सा रूप वीरता का नहीं है?

  1. क्रोध
  2. त्याग
  3. युद्ध
  4. दान

उत्तर – 1

प्रश्न. वीरता का एक विशेष लक्षण है।

  1. नयापन
  2. हास्य
  3. नकल
  4. करुणा

उत्तर-1

गद्यांश 2 :- सामान्यतः दुष्टों की वन्दना में या तो भय रहता है या व्यंग्य । परन्तु जहाँ हम हानि होने के पहले ही हानि के कारण की वन्दना करने लगते हैं वहाँ हमारी वन्दना ! के मूल में भय नहीं, बल्कि उसकी स्थायी दशा की आशंका है। इस वन्दना में दुष्टों को थपकी देकर सुलाने की चाल है, जिससे विघ्न बाधाओं में जान बच सके। आशंका से उत्पन्न यह नम्रता गोस्वामी जी को आश्रय से आलम्बन बना देती है। जब स्फुट अंशों के संचारी भावों तथा अनुभवों को छोड़कर वन्दना के पीछे निहित भावना की दृष्टि से देखते हैं, तो यह आश्रय से संक्रमित आलम्बन का उदाहरण बन जाता है। सन्तों, देवताओं तथा राम की वन्दना पर्याप्त नहीं, इसलिए दुष्टों की भी वन्दना की जाती है। इससे दुष्टों के महत्त्व की भायिक सृष्टि होती है। और वह उन्हें और भी उपहास्य बना देती है।

प्रश्न. देवताओं, महापुरुषों सज्जनों के साथ दुष्टों की वन्दना इसलिए सार्थक कही जाएगी कि महाकवि तुलसीदास

  1. सन्तकवि थे।
  2. उदारचेता थे।
  3. हित-अनहित और अपने-पराए की भावना से ऊपर उठ चुके थे।
  4. निर्वरता चाहते थे।

उत्तर – 4

प्रश्न. जीवन में हास्य का महत्व इसलिए है कि वह जीवन को

  1. प्रेरणा देता है
  2. आनंद करता है
  3. आगे बढ़ाता है
  4. सरस बनाता है

उत्तर – 4

प्रश्न. दुष्ट वन्दना के पीछे लेखक का उद्देश्य है

  1. दुष्टों को लज्जित करना
  2. दुष्टों को थपकी लेकर सुलाना
  3. दुष्टों से अपना बचाव करना
  4. दुष्टों का सहयोग प्राप्त करना

उत्तर – 2

प्रश्न. रामचरितमानस एक भक्ति काव्य है। इसमें दुष्ट वन्दना का रहस्य है

  1. तुलसी की व्यापक दृष्टि
  2. तुलसी का सभी को राममय
  3. तुलसी की उदारता देखना
  4. तुलसी का शील-सौजन्य

उत्तर – 2

प्रश्न. उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक हो सकता

  1. तुलसी की दुष्ट वन्दना
  2. तुलसी की उदारता
  3. तुलसी का मानवीय दृष्टिकोण
  4. उपरोक्त तीनों

उत्तर – 3